MUZAFFRPUR : कहावत है, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, और इस कहावत को सच साबित किया है बिहार के मुज़फ्फरपुर के टोटो चालक पारस मणि ने अपनी कठिनाइयों और संघर्षों के बावजूद, पारस ने कभी हार नहीं मानी और अंततः 2024 में कौन बनेगा करोड़पति (KBC) में भाग लेने का मौका पाया। पारस मणि, जो मूल रूप से सहरसा के रहने वाले हैं, मुज़फ्फरपुर में अपने परिवार के साथ रहते हैं। पहले वे एक मोबाइल की दुकान चलाते थे, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उनकी दुकान बंद हो गई। दुकान बंद होने के कारण उन्हें किराया चुकाने में दिक्कतें आईं, और उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। इस कठिन समय में पारस ने हार मानने की बजाय नई राह चुनी। उन्होंने अपनी बहन से कर्ज लेकर एक टोटो गाड़ी खरीदी और उसे चलाकर परिवार की जीविका चलाने लगे। लेकिन पारस का सपना केवल जीवित रहना नहीं था, उनका सपना था कि वे एक दिन KBC में भाग लें और अपने ज्ञान और मेहनत को साबित करें।पारस ने लगातार KBC में भाग लेने की कोशिश की, और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई।
2024 में उन्हें KBC के लिए बुलावा आया। यह उनके लिए एक बड़ा अवसर था, लेकिन यह सफर आसान नहीं था। पारस को ब्रेन ट्यूमर की गंभीर समस्या थी, जिसने उनकी जिंदगी को और भी कठिन बना दिया था। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी बीमारी को चुनौती के रूप में लिया और अपने सपनों की ओर बढ़ते रहे। KBC में पहुंचने के बाद, पारस ने अपने ज्ञान और धैर्य का प्रदर्शन किया और लाखपति बन गए। उनके इस सफलता के बाद, उनकी पत्नी अंशु सिंह की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अंशु ने कहा कि पारस की लगातार मेहनत और सोलह वर्षों की कोशिशों के बाद जब KBC से फोन आया, तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। उनके चेहरे पर खुशी साफ दिख रही थी जब उन्होंने अमिताभ बच्चन से मुलाकात की और अपने सपने को पूरा होते देखा। पारस मणि की कहानी संघर्ष, आशा और समर्पण की प्रेरणा देती है। यह दिखाता है कि कठिनाइयों के बावजूद, अगर हम दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत के साथ अपने सपनों की ओर बढ़ते रहें, तो सफलता मिलती है। पारस का सफर न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि सभी के लिए एक प्रेरणा है, जो जीवन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और अपने सपनों को साकार करने की कोशिश कर रहे हैं।