SITAMARHI : बिहार के विभिन्न हिस्सों में आई बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। खासकर सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर क्षेत्र में बागमती तटबंध के टूटने से 35 गांवों की लगभग दो लाख से अधिक आबादी बाढ़ की चपेट में आ गई है। बाढ़ की स्थिति इतनी गंभीर है कि कई परिवारों को अपने घरों को छोड़कर ऊंचे स्थानों, तटबंधों या राष्ट्रीय राजमार्ग-77 पर शरण लेने को मजबूर होना पड़ा है। सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर में जेडीयू विधायक पंकज मिश्रा जब बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलने पहुंचे, तो स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।
राहत सामग्री न मिलने और उनकी स्थिति को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए ग्रामीणों ने रुन्नीसैदपुर विधायक पंकज मिश्रा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लोगों ने विधायक को खरी-खोटी सुनाते हुए उनके सामने ही “मुर्दाबाद” के नारे लगाए। इस स्थिति ने विधायक को असहज कर दिया, और उन्हें वहां से जाना पड़ा। यह घटना बाढ़ राहत कार्यों में प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, जिससे प्रभावित समुदाय की उम्मीदें और बढ़ी नाराजगी साफ झलकती है।
बाढ़ की विभीषिका:
जिले के बेलसंड प्रखंड के मधकौल और सौली तथा रुन्नीसैदपुर प्रखंड के तिलकताजपुर और खड़हुआ गांव के समीप तटबंध के टूटने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। बाढ़ के पानी ने कई गांवों में प्रवेश कर लिया है, जिससे स्थानीय लोगों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। उनके घर, खेत और मवेशी सब कुछ बाढ़ की चपेट में हैं। ऐसे में प्रशासन की ओर से राहत कार्य की कमी ने लोगों का गुस्सा बढ़ा दिया है।
राहत सामग्री की कमी:
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री की गंभीर कमी महसूस की जा रही है। स्थानीय निवासी खाद्य सामग्री, चिकित्सा सहायता और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए तरस रहे हैं। कई लोग अब भी अपने गांवों में फंसे हुए हैं, जहां पानी की वजह से आवागमन ठप हो गया है। ऐसे में, कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
पशुपालकों की बढ़ी मुश्किलें:
बाढ़ ने सिर्फ मानव जीवन को ही नहीं, बल्कि पशुपालन को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है। मवेशियों की सुरक्षा और चारे की कमी के कारण पशुपालक बेहद चिंतित हैं। कई पशुपालकों ने अपने मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की कोशिश की, लेकिन बाढ़ के पानी के कारण यह भी संभव नहीं हो पा रहा है।
सड़कें हुई अवरुद्ध:
बाढ़ के कारण सड़कें भी अवरुद्ध हो गई हैं, जिससे आवागमन ठप हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्थिति और भी विकट है, जहां स्थानीय प्रशासन के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इससे राहत कार्य में और अधिक बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।