विकसित भारत की नई पहचान, परिवार नियोजन हर दंपति की शान : सिविल सर्जन

SITAMARHI : विश्व जनसंख्या नियंत्रण दिवस के अवसर पर सदर अस्पताल समेत विभिन्न जगहों पर जागरूकता सह परामर्श मेले का आयोजन किया गया। सदर अस्पताल में आयोजित स्वास्थ्य सह परिवार नियोजन मेल का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ. सुरेश प्रसाद, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. जेड जावेद , जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मुकेश कुमार, उपाधीक्षक सदर अस्पताल डॉ. सुधा झा, अस्पताल प्रबंधक विजय झा, पीरामल स्वास्थ्य के टीम लीड प्रभाकर कुमार, प्रोग्राम लीड अरुनेन्द्र कुमार और रोहित कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान सिविल सर्जन ने जनसंख्या नियंत्रण हेतु परिवार नियंत्रण के विभिन्न साधनों से समुदाय को अवगत करने पर जोड़ दिया। साथ ही कहा की जबतक नव दंपति को सभी साधनों के महत्व के बारे में जानकारी नहीं होगी तबतक, इसका नियंत्रण मुश्किल है।

विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर जिले के सभी आशा फसिलटैटर का उन्मुखीकरण करते हुए उन्हें निर्देश दिया गया कि ग्राम पंचायत स्तर पर ऐसे टोलों को चिन्हित करते हुए जहां समुदाय के लोग परिवार नियंत्रण के विभिन्न साधनों का उपयोग नहीं करते हैं, वहाँ पर नवदंपतियों के साथ चौपाल लगाकर उन्हें सभी साधनों के बारे में बताते हुए उन्हें जागरूक करे। सीएस ने बताया कहा कि विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य परिवार नियोजन के महत्व लैंगिक, समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों जैसे विभिन्न जनसंख्या संबंधी मुद्दों पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना है। इसका लक्ष्य जनसंख्या के मुद्दों तथा यह कैसे समग्र विकास योजनाओं और कार्यक्रमों को प्रभावित करता है इस पर लोगों का ध्यान केंद्रित करना है।

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि बिहार में परिवार नियोजन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास से सीधे जुड़ा हुआ है। परिवार नियोजन महिलाओं को यह अधिकार देता है कि उनके कब और कितने बच्चे हों। परिवार नियोजन के कई लाभ हैं, जिनमें माता और बच्चों का बेहतर स्वास्थ्य, गरीबी में कमी और बेहतर शिक्षित आबादी शामिल है। गर्भनिरोधक का उपयोग महिलाओं के लिए विशेष रूप से युवा, कम बच्चों वाली महिलाओं, और लड़कियों में गर्भावस्था से संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों को रोकता है। 

डीएस डॉ. सुधा झा ने बताया कि जनसंख्या नियंत्रण से स्वास्थ्य के अलावा कई अन्य लाभ प्रदान करता है। जिसमें उच्च शिक्षा के अवसर, महिलाओं का सशक्तिकरण, सतत जनसंख्या वृद्धि, व्यक्तियों और समुदाय के लिए आर्थिक विकास इत्यादि शामिल है। पहला गर्भधारण 20 वर्ष की उम्र मे तथा दो बच्चों मे 3 साल का अंतराल होने से माँ और बच्चों के स्वास्थ्य को भी लाभ मिलता है एवं गर्भनिरोधक के उपयोग से मातृ मृत्यु की संख्या में लगभग 20 से 30 प्रतिशत की कमी हो सकती है।

डीपीएम ने बताया की सरकार द्वारा राज्य में विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई 2024 एवं परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा का 11 से 31 जुलाई तक आयोजन किया जा रहा है। जिसका उदेश्य “गर्भावस्था के स्वस्थ समय और अंतराल” को बढ़ावा देना है। गर्भावस्था का स्वास्थ्य समय और अंतराल (एचटीएसपी) परिवार नियोजन का एक दृष्टिकोण है जो महिलाओं और परिवारों को गर्भधारण मे देरी, अंतराल या सीमित कर महिलाओं, नवजात शिशुओं, और बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त करने में मदद करता है।